Friday, June 12, 2009

हम चलते रहे इन राहों में
जहां हमने पाया बहुत कुछ
खोया भी बहुत कुछ
पर कभी इन राहों में
खुदको अकेला भी पाया
दिल की धड़कन न जाने क्या चाहता रहा
साथ चाहा कभी किसीका तो
कभी चाहा अकेले चलना इन राहों में
इन लम्हों को बस लगाया सीने से
न जाने कल ये हमे मिले या न मिले

No comments:

Post a Comment